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{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह
}}
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<poem>
देहरी पर पाँव...
हँसी होंठो पर ...
मन आँखों में उतर आया ...
उँगलियों में प्राण ...
साँस में सर्वस्व ...
आगमन ऐसा सुख
प्रभु के आगमन से पृथक कहाँ है
मनुष्य के घर में
रचनाकाल : 1991, विदिशा
</poem>
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|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह
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देहरी पर पाँव...
हँसी होंठो पर ...
मन आँखों में उतर आया ...
उँगलियों में प्राण ...
साँस में सर्वस्व ...
आगमन ऐसा सुख
प्रभु के आगमन से पृथक कहाँ है
मनुष्य के घर में
रचनाकाल : 1991, विदिशा
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