भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKFilmSongCategories
|वर्ग=देश भक्ति गीत
}}
{{KKFilmRachna
|रचनाकार=शकील् बदयुनि
}}
<Poem>
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नही,
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही,
सर झुका सकते नही,
 
हमने सदियॊ में ये आज़ादी कि नेमत पाई है,
ख़ाक मॆ हम अपनी इज्ज़़त को मिला सकते नहीं,
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं,
 
क्या चलेगी ज़ुल्म की, अहले वफ़ा के सामने,
रुक नही सकता हमारी एकता के सामने,
हम वो पत्थर है जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं,
 
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं,
उम्र भर लहरायेगा,
जो सबक बापू ने सिखलाया भुला सकते नहीं,
 
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं,
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं,
</poem>
35
edits