भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=आवाज़ों के घेरे / दुष्यन्त कुमार
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आवाज़ें...
स्थूल रूप धरकर जो
गलियों, सड़कों में मँडलाती हैं,
क़ीमती कपड़ों के जिस्मों से टकराती हैं,
मोटरों के आगे बिछ जाती हैं,
दूकानों को देखती ललचाती हैं,
प्रश्न चिह्न बनकर अनायास आगे आ जाती हैं-
आवाज़ें !
आवाज़ें, आवाज़ें !!
आवाज़ें...<br>स्थूल रूप धरकर जो<br>गलियों, सड़कों में मँडलाती हैं, <br>क़ीमती कपड़ों के जिस्मों से टकराती हैं, <br>मोटरों के आगे बिछ जाती हैं, <br>दूकानों को देखती ललचाती हैं, <br>प्रश्न चिह्न बनकर अनायास आगे आ जाती हैं-<br>आवाज़ें !<br>आवाज़ें, आवाज़ें !!<br><br> मित्रों !<br>मेरे व्यक्तित्व <br> और मुझ-जैसे अनगिन व्यक्तित्वों का क्या मतलब ?<br>मैं जो जीता हूँ<br>गाता हूँ<br>मेरे जीने, गाने<br>कवि कहलाने का क्या मतलब ?<br>जब मैं आवाज़ों के घेरे में<br>पापों की छायाओं के बीच <br> आत्मा पर बोझा-सा लादे हूँ;<br/poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits