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|रचनाकार=हरिकेश
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सोई सही राजा दान धारा न रुकति जाकी ,::जुद्ध जस धारा देवदारा मुख जोबती ।जोबती।कबि हरिकेस कहै सोई सही राजा ,::जाकी प्रजा ध्रुव धरम धुजा के छाँह सोवती ।सोवती।ऎसे तो कहावत हैँ कोरी राजा कोढ़ी राजा ,::घर घर राजा मान मैया मुँह जोबती ।जोबती।सुमिरि सुमिरि चमरैलियाँ कुरैलियाहू ,::मूये ते खसम राजा राजा कहि रोबती ।रोबती।
'''हरिकेश का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
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