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|संग्रह=जेबों में डर / अश्वघोष
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<poem>
रोज़मर्रा वही इक ख़बर देखिए
सड़के चलने लगीं आदमी रुक गया
हो गया अपाहिच अपाहिज़ सफ़र देखिए
सारा आकाश अब इनके सीने में है
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