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तूँ क्यों रान्याँ का भैय्या!
नीन्दडली में सुत्यां सूत्याँ राज। थारी तो माँ की जाया
सासरियो में झूरे राज,
झूरेगी झुरेगो झूर मरे, कोई कालो काल्ड़ो काग उडावे राज उड़ रे म्हारो कालो काल्ड़ो कागो,जे मेरो वीरो आवे आवै राज आवेगों आवैगों आधी रात, पिलंगन ताजन उठी सूती राज
ऊठी छी वीर मिलन,
टूटयो बाई रो हारो राज
हारो तो फेर पुओसां,
वीरान सूँकद मिल्स्याँ राज,
चुग देगी सोन चिड़ी
और पो देगो बणजारो राज,
कैठे की सोन चिड़ी
न कैठे को बणजारो राज,
दिल्ली की सोन चिड़ी
और जेपुर को बणजारो राज,
के मांगे सोन चिड़ी
और के मांगे बणजारो राज,
घी मांगे सोन चिड़ी
न गुड मांगे बणजारो राज,
घी देस्याँ सोन चिड़ी
और गुड देस्याँ बणजारो राज, तूं क्यों रायाँ का भैय्या नीन्दडली में सुत्याँ सूत्याँ राज!
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