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गुमाँ ये है कि धोखे खा रहा हूँ <br><br>
अगर मुम्किन मुमकिन हो ले ले अपनी आहट <br>
ख़बर दो हुस्न को मैं आ रहा हूँ <br><br>
ख़बर है तुझको ऐ ज़ब्त-ए-मुहब्बत <br>
तेरे हाथों में लुटता लुटाता जा रहा हूँ <br><br>
असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का<br>
तुझे कायल भी करता कराता जा रहा हूँ <br><br>
भरम तेरे सितम का खुल चुका है<br>
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