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Kavita Kosh से
मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ कुझे मुझे होश नहीं
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं
जाने क्या टूटा है, पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं