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जगया के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,
मैं इक थीं दो जणदी, जगया!
मखाना, के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,
जग्गा मारया बोड दी छां ते,
सुरना के माँ दा मार दित्ता इ पुत्त सूरमा,
-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी,
नहिंयों जानना.
- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें,
ढोल वे, गंगाजल विच क्यों दित्ता इ जहर घोल वे,
-सानू शगणा दा कर दे लीरा,
हाल नी, के होणी खेड गयी, चाल नेरे नाळ नी,
-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै,
के बारी खोल के यारी दी लाज रख लै, मित्तरो!
नारे नी, देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,
-लम्ब होकयां दे बल पये औंदे ,