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मिला दिल , मिल के टूटा जा रहा है <br />
नसीबा बन के फूटा जा रहा है..
नसीबा बन के फूटा जा रहा है  दवा-ए-दर्द-ए-दिल मिलनी थी जिससे <br />
वही अब हम से रूठा जा रहा है
अंधेरा हर तरफ़, तूफ़ान भारी <br />
और उनका हाथ छूटा जा रहा है
दुहाई अहल-ए-मंज़िल की, दुहाई <br />
मुसाफ़िर कोई लुटा जा रहा है
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