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नया पृष्ठ: कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो<br /> क्या कहना है, क्या सुनना है<br /> मुझको पता …
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो<br />
क्या कहना है, क्या सुनना है<br />
मुझको पता है, तुमको पता है<br />
समय का ये पल, थम सा गया है<br />
और इस पल में कोई नहीं है<br />
बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो<br />

कितने गहरे हल्के, शाम के रंग हैं छलके<br />
पर्वत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके<br />
सुलगी सुलगी साँसें बहकी बहकी धड़कन<br />
महके महके शाम के साये, पिघले पिघले तन मन<br />

खोए सब पहचाने खोए सारे अपने<br />
समय की छलनी से गिर गिरके, खोए सारे सपने<br />
हमने जब देखे थे, सुन्दर कोमल सपने<br />
फूल सितारे पर्वत बादल सब लगते थे अपने
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