भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
कि न लड़ जावे तैनू
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे दा चौबारा
 हीर विचारी इट्टा ढोवे
ते राँझा ढोवे गारा
लुट्टी हीर वे यरां दी
219
edits