Changes

<poem>
दिल लगा कर जाना है
अकेले ही आखिर आख़िर जीना है
अकेले आना है
अकेले जाना है
न दुःख के
न हास के न परिहास के
तालाब के हैं सब ठूंठ ठूँठ
झीनी लहर पर सरकते
पास आते और घिसटकर जाते
उफान उफ़ान नहीं तालाब में
पानी भरे लबालब
तो स्थिर रह कर गुजर गुज़र जाने देते
ऊपर ही ऊपर
डूबते-उतराते
न बिछुड़ने का दुःख
आदमी हैं यहाँ सब
तालाब के ठूंठठूँठ
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,669
edits