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Kavita Kosh से
हम भी कभी आबाद थे ऐसे कहाँ बरबाद थे<br>
वो चाल ऐसि चल गया हम बुझ गये दिल जल गया<br>
निकले जला के अपना घर मैं और मेरी आवारगी<br><br>