भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
दादी -अम्मा दादी -अम्मा मान् मान जाओदादी अम्मा दादी अम्मा मान् जाओछोडो छोड़ो जी ये गुस्सा जारा हंस् ग़ुस्सा ज़रा हँस के दिखाओ
छोटी -छोटी बातों पे न बिगडा बिगड़ा करोछोटी छोटी बातों पे न बिगडा करोगुस्सा ग़ुस्सा हो तो ठन्डा ठण्डा पानी पी लिया करोखाली -पीली अपना कलेजा न जलाओदादी -अम्मा दादी -अम्मा मान् मान जाओ...
कहो तो तुम्हारि हम् तुम्हारी हम चम्पी कर् कर देंकहो तो तुम्हारि हम् चम्पी कर् देंपीयो पियो तो तुम्हारे लिये हुक्का भर् भर देंहसी हँसी न छुपाओ जरा आँखे ज़रा आँखें तो मिलाओदादी -अम्मा दादी -अम्मा मान् मान जाओ...
हमसे जो भुल् भूल हुई माफ् माफ़ करो माहमसे जो भुल् हुई माफ् करो मामाँगले लग् लग जाओ दिल् साफ् दिल साफ़ करो मामाँअच्छी सी कहानि कहानी कोई हमको सुनाओदादी -अम्मा दादी -अम्मा मान् जाओ...दादी अम्मा दादी अम्मा मान् मान जाओ...
</poem>