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[[Category:ग़ज़ल]]
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शौक़, हर रंग, रक़ीब-ए-सर-ओ-सामांसामाँ<ref>सामान का दुश्मन</ref> निकला क़ैस<ref>मजनूं</ref>, तस्वीर के पर्दे में भी, उरियांउरियाँ<ref>नग्न</ref> निकला
ज़ख़्म ने दाद न दी तंगी-ए-दिल की, यारब
तीर भी सीना-ए-बिस्मिल<ref>घायल की छाती</ref> से पर-अफ़शांअफ़शाँ<ref>पंख फड़फड़ाता हुआ</ref> निकला
बू-ए-गुल, नाला-ए-दिल<ref>दिल की आह</ref>, दूद<ref>धुआंधुआँ</ref>-ए-चिराग़-एचिराग़े-महफ़िल -जो तेरी बज़्म से निकला, सो परिशां परीशाँ निकला
दिल-एदिले-हसरत-ज़दा<ref>इच्छुक</ref> था माइदा-ए-लज़्ज़त-एलज़्ज़ते-दर्द<ref>दर्द के मज़े का दावती-मेज़</ref>काम यारों का ब क़दर-क़द्रे-लब-ओ-दनदांदनदाँ<ref>हर किसी की काबलियत के अनुसार</ref> निकला
थी नौ-आमोज़<ref>नौसिखिया</ref>-फ़ना हिम्मते दुश्वार-पसंद
सख़्त मुश्किल है कि ये काम भी आसां आसाँ निकला
दिल में, फिर गिरियेगिरिया<ref>एक खास कोलाहलरोने-धोने</ref> ने इक शोर उठाया, "ग़ालिब"
आह! जो क़तरा न निकला था, सो तूफ़ां निकला
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