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{{KKCatGhazal}}
<poem>यही हालात इब्तदा से रहे <brref>शुरु</ref> से रहे लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे <br><br>
बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन <br>ये भी सच है कि बेवफ़ा-से रहे <br><br>
इन चिराग़ों में तेल ही कम था <br>क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे <br><br>
बहस, शतरंज, शेर, मौसीक़ी <brref>संगीत कला</ref>तुम नहीं रहे तो ये दिलासे रहे <br><br>
उसके बंदों को देखकर कहिये <br>हमको उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे <br><br>
ज़िन्दगी की शराब माँगते हो <br>हमको देखो कि पी के प्यासे रहे <br><br/poem>{{KKMeaning}}