भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वक़्त ने फिर पन्ना पलटा है

1,150 bytes added, 06:03, 3 अप्रैल 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सतपाल 'ख़याल' |संग्रह= }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> वक़्त ने फ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= सतपाल 'ख़याल'
|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
वक़्त ने फिर पन्ना पलटा है
अफ़साने में आगे क्या है?

घर में हाल बजुर्गों का अब
पीतल के बरतन जैसा है

कोहरे में लिपटी है बस्ती
सूरज भी जुगनू लगता है

जन्मों-जन्मों से पागल दिल
किस बिछुड़े को ढूँढ रहा है?

जो माँगो वो कब मिलता है
अबके हमने दुख माँगा है

रोके से ये कब रुकता है
वक़्त का पहिया घूम रहा है

आज 'ख़याल' आया फिर उसका
मन माज़ी में डूब गया है

हमने साल नया अब घर की
दीवारों पर टाँग दिया है।


</poem>
29
edits