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मरते आदमी के साथ-साथ / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
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15:14, 16 अप्रैल 2010
चीख़ता है जैसे सुरंग में घुसती हुई हवा
अंगों को बेचैनी में मरोड़ता
साँप की तरह
हाफता
हाँफता
है
फन पटकता है
अनिल जनविजय
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