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:::कहाँ दुरे हो मेरे ध्रुव!
::::हे पथ-दर्शक! द्युतिमान!
:::दृगों से बरसा यह अपिधान:::देव! कब दोगे दर्शन-दान?
'''रचनाकाल: अगस्त १९२३'''
</poem>