भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़मीन-2 / एकांत श्रीवास्तव

49 bytes added, 12:58, 28 अप्रैल 2010
जमीन{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<br /Poem>ज़मीनबिक जाने के बाद भी<br />पिता के सपनों में<br />बिछी रही रात भर<br /><br />वह जानना चाहती थी<br />हल के फाल का स्‍वाद<br />चीन्‍हना चाहती थी<br />धॅंवरे बैलों के खुर<br /><br />वह चाहती थी<br />कि उसके सीने में लहलहायें<br />लहलहाएँपिता की बोयी फसलें<br /><br />एक अटूट रिश्‍ते की तरह<br />कभी नहीं टूटना चाहती थी जमीन<br />ज़मीनबिक जाने के बाद भी.<br />भी।<br /poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,667
edits