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तूने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा है / क़तील
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09:36, 5 मई 2010
इम्तेहाँ और मेरी ज़ब्त का तुम क्या लोगे <br>
मैं ने धड़कन को भी सीने में छुपा रखा है <br><br>
दिल था एक शोला मगर बीत गये दिन वो क़तील, <br>
अब क़ुरेदो ना इसे राख़ में क्या रखा है <br><br>
Bohra.sankalp
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