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प्रेम में पड़ी लड़की-1 / प्रदीप जिलवाने
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14:50, 15 मई 2010
जैसे उपस्थित हो वहीं
रोशनी का समन्दर गुहा
जिसमें
डूभकर
डूबकर
पार कर ही
मिल
;
सकती है
अपनी धरती
अपना आकाश।
</poem>
अनिल जनविजय
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