गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सत्य कहना, हे जगदाधार! / गुलाब खंडेलवाल
1 byte added
,
15:25, 28 मई 2010
सत्य कहना, हे जगदाधार!
कभी तुम्हें भी विचलित करता जग का हाहाकार?
क्या तुम भी इस मर्त्यलोक के
सुनकर करुण विलाप शोक के
Vibhajhalani
2,913
edits