भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=कन्हैयालाल नंदन
}} {{KKVID|v=1P05lERBM7kj9aUBccI3fU}}
<poem>
बांची तो थी मैंने खण्डहरों में लिखी हुई इबारत