भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
रक्त के प्यासे!
भूत प्रेत य ये मनो भूमि के
सदियों से पाले पोसे
अँधियाली लालसा गुहा में
ऊर्ध्व मनुज ये नहीं, अधोमुख,
उलटे जिनके जीवना जीवन मान,
अंधकार खींचता इन्हें है
गाता रुधिर प्रलय के गान!