भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया
कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहे
कुछ दुशमनों दुश्मनों से वैसी अदावत नहीं रही