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वे आ रहे हैं<br />श्याम वर्ण अश्र्वों पर सवार<br />मेरे घर की ओर ।<br /><br />उनके काम बता दिए गये-<br />एक का काम है मुझको नहीं बोलने देने का<br />वाणी को छीन लें ।<br />दूसरे का काम है<br />न सुनने देने का ।<br />तीसरे का काम है<br />आंख बन्द करने का-<br />ताकि मैं उनका आतंक न देख सकूं ।<br />चौथे का काम है<br />मेरे दांत तोड़ने का<br />ताकि मैं चलते समय<br />किसी पर आक्रमण न करूँ ।<br />कुछ देर रुक कर<br />फिर एक गहन सन्नाटासन्नाटा।<br /><br /><br />(*यह कविता गहन रुग्णावस्था में निधन से मात्र 20 दिन पूर्व रचित)
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