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याद / रेणु हुसैन

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<poem>
याद तुम्हारी जब आती है
झील-सी ठहरी इन आंखों में
कितनी लहरें पड़ जाती हैं
दूर कहीं आकाश में ठहरी
सब बदलियां बरस जाती हैं
बंजर-सी सूखी धरती पर
चाहत की कितनी ही कलियां
खिल जाती हैं
याद तुम्हारी जब आती है

दिल की धड़कन बढ़ जाती है
तन्हाई हो जाती रौशन
बेचैंनी मिट जाती है
औ’ सांसों में महक तुम्हारी
मुझे चूमती देर तलक
नींद मुझे फिर कब आती है
याद तुम्हारी जब आती है
<poem>
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