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07:44, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेणु हुसैन
|संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन
}}
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<poem>
लो तुम्हारे झूठ से
भर आई आंखें
होंठ निश्शब्द हो गए
लो तुम्हारे फ़रेब से
टूट गया दिल
बिखर गए कांच के टुकड़े
लो तुमसे टूट गए तार
टूट गए सपने
उड़ गई नींद
लो तुम्हारा प्यार अब
महफूज़ हो गया
हमारे अश्कों में
हमारी आहों में
हमारी चाहत में
<poem>