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09:31, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेणु हुसैन
|संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन
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<poem>
उम्मीद रखो, उम्मीद रखो
उम्मीद पे दुनिया कायम है
ये पतझर ढल जायेगा
फूलों पे आयेगी बहार
ये नफरत मिट जायेगी
महकेगा प्यार ही प्यार
उजड़ घर बस जायेगा
खुशी में ग़म खो जाएगा
ये सूरज फिर से निकलेगा
हर तरफ उजाला हो जायेगा
ये ग़म सारे मिट जायेंगे
अच्छे दिन भी आ जायेंगे
उम्मीद रखो, उम्मीद रखो
उम्मीद पे दुनिया कायम है
<poem>