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दर्द / नीरज दइया

19 bytes added, 02:52, 30 जून 2010
<poem>दर्द के सागर में
मैं डूबता तिरता हूं
कोई नहीं थामता
मेरा शब्द-शब्द ।
'''अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा'''</poem>
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