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Kavita Kosh से
दूभर हो गया है
इस तरल दौर में
कवियों से कह दो
कि वे चाट-मसाले
की गुमटियां लगा लें
नाटककारों से कहा कह दो
कि वे कोई और धंधा कर लें
यानी, पान-मसाला बेचें