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सुख दुख इस जीवन में/ शास्त्री नित्यगोपाल कटारे का नाम बदलकर सुख दुख इस जीवन में / शास्त्री नित्यगो
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= शास्त्री नित्यगोपाल कटारे |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<Poem> मन से ही उत्पन्न हुए हैं खो जाते हैं मन में आते हैं जाते हैं सुख दुख इस जीवन में । हो मन के अनुकूल उसे ही सुख कहते हैं मन से जो प्रतिकूल उसे ही दुख कहते हैं गमनागमन किया करते हैं इच्छा के वाहन में आते हैं जाते हैं सुख दुख इस जीवन में । दूल्हे जैसा सर्व प्रतीक्षित
सुख आता है