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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=मैं यहाँ हूँ/रमेश कौशिक }} <poem> स…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=मैं यहाँ हूँ/रमेश कौशिक
}}
<poem>
सर्वाधिक
अनुशासन
होता है कब्रों में
और जीवन विचारों में|
किंतु इनसे
प्रकाश ही नहीं
आग भी लगती है
कभी दुनिया विएतनाम
कभी बंगाल बनती है|
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=मैं यहाँ हूँ/रमेश कौशिक
}}
<poem>
सर्वाधिक
अनुशासन
होता है कब्रों में
और जीवन विचारों में|
किंतु इनसे
प्रकाश ही नहीं
आग भी लगती है
कभी दुनिया विएतनाम
कभी बंगाल बनती है|
</poem>