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नरेन्द्र शर्मा

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* [[मेरे गीत बडे हरियाले / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[ऐसे हैं सुख सपन हमारे/ नरेन्द्र शर्मा]]
* [[ज्योति पर्व : ज्योति वंदना / नरेन्द्र शर्मा]]
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
चाहे जितना हाथ पसारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
 
'''ज्योति पर्व : ज्योति वंदना'''
 
 
जीवन की अँधियारी रात हो उजारी !
धरती पर धरो चरण तिमिर-तमहारीपरम व्योमचारी!
चरण धरो, दीपंकर, जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,गगन-वन-विहारीपरम व्योमचारी!
आओ तुम, दीपों कोनिरावरण करे निशा!
चरणों में स्वर्ण-हासबिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक, मृत्यु-लोक हो सुखारीनयन हों पुजारी!*****************************************************************
सुख सुहाग की दीव्य ~ ज्योति से, घर आँगन मुस्काये, ज्योति चरण धर कर दीवाली, घर आँगन नित आये" *****************************************************************
-- रचना : पँ.नरेद्र शर्मा --
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