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प्रेम का आकार / जय राई छांछा
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07:51, 21 जुलाई 2010
स्वदेश छोड / विदेश पहुँचा
देश जितना ही लगा तुम्हारा प्रेम
भू-तल
छोड
छोड़
/ चाँद पर पहुँचा
पृथ्वी जितना ही लगा तुम्हारा प्रेम ।
अनिल जनविजय
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