भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे, तो क्या,<br /> बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-…
बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे, तो क्या,<br />
बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-तक़री भी था ।<br />
बात करते कि मैं लब-तश्नऐ-तक़री भी था ।<br />