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गुरु पिताश्री स्वर्गीय अब्दुल रशीद, महबूब हसन खाँ नय्यर तिलहरी जो दिल शाहजहाँपुरी
के शिष्य थे एवं ताहिर तिलहरी ।
विशेष उपलब्धि : हिंदी-उर्दू की पहली मुहावरा-ग़ज़ल कहने का सौभाग्य प्राप्त किया ।
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