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सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की
वो मुझे छोड़ गया शाम से पहले पहले
 
कितना अच्छा था कि हम भी जिया करते थे 'फ़राज़'
ग़ैर-मारूफ़ से गुम-नाम से पहले पहले
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