भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर म…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बधुआ का साग
पापड़
और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के
गांव से आये पिता
लौट गये
बाजार ऐसा न था कि रोक सके
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बधुआ का साग
पापड़
और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के
गांव से आये पिता
लौट गये
बाजार ऐसा न था कि रोक सके