भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद फ़राज़ |संग्रह=खानाबदोश / फ़राज़ }} [[Category:ग़ज़…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
|संग्रह=खानाबदोश / फ़राज़
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
थक गया है मुसलसल सफ़र उदासी का,
और अब भी है मेरे शाने पे सर उदासी का,
वो कौन कीमिया-गर था के जो बिखेर गया,
तेरे गुलाब से चेहरे पे ज़र उदासी का,
मेरे वजूद के खि़ल्वते-क़दे में कोई तो था,
जो रख गया है दिया ताक़ पर उदासी का,
मैं तुझसे कैसे कहूँ यार-ए-मेहरबां मेरे,
के तू ही इलाज़ है मेरी हर उदासी का,
ये अब जो आग का दरिया मेरे वजूद में है,
यही तो पहले-पहल था शरार उदासी का,
ना जाने आज कहाँ खो गया सितार-ए-शाम,
वो मेरा दोस्त, मेरा हमसफ़र उदासी का,
‘फ़राज़’ दीदा-ए-पुराब में ना ढूंढ उसे,
के दिल की तह में कहीं है गोहर उदासी का,
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
|संग्रह=खानाबदोश / फ़राज़
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
थक गया है मुसलसल सफ़र उदासी का,
और अब भी है मेरे शाने पे सर उदासी का,
वो कौन कीमिया-गर था के जो बिखेर गया,
तेरे गुलाब से चेहरे पे ज़र उदासी का,
मेरे वजूद के खि़ल्वते-क़दे में कोई तो था,
जो रख गया है दिया ताक़ पर उदासी का,
मैं तुझसे कैसे कहूँ यार-ए-मेहरबां मेरे,
के तू ही इलाज़ है मेरी हर उदासी का,
ये अब जो आग का दरिया मेरे वजूद में है,
यही तो पहले-पहल था शरार उदासी का,
ना जाने आज कहाँ खो गया सितार-ए-शाम,
वो मेरा दोस्त, मेरा हमसफ़र उदासी का,
‘फ़राज़’ दीदा-ए-पुराब में ना ढूंढ उसे,
के दिल की तह में कहीं है गोहर उदासी का,
</poem>