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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=यादवेंद्र शर्मा 'चंद्र' |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poemPoem>जद-जद म्हांरो उणियारो,
उणमणै सूं किच्योईज जावै,
डाबरनैणा मांय पीडावां झळमळावै,