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देख आज मेवाड़ मही को / कन्हैया लाल सेठिया
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05:53, 1 नवम्बर 2010
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poem
Poem
>देख आज मेवाड़ मही को
आड़ावल की चोटी नीली,
उसकी बीती बात याद कर
अनिल जनविजय
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