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08:43, 12 नवम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= जावेद अख़्तर
|संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
मेरे दिल में उतर गया सूरज
तीरगी<ref>अँधेरा</ref> में निखर गया सूरज
दर्स <ref>शिक्षा</ref> देकर हमें उजाले का
खुद अँधेरे के घर गया सूरज
हमसे वादा था इक सवेरे का
हाय केसा मुकर गया सूरज
चांदनी अक्स, चाँद आइना
आईने में संवर गया सूरज
डूबते वक़्त जर्द<ref>पीला</ref> था इतना
लोग समझे के मर गया सूरज
</poem>
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