भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तीस साल के बाद... / नागार्जुन

144 bytes removed, 06:37, 18 नवम्बर 2010
कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण
मूर्छित भारत-मां माँ के तन में वापस आए प्राण
प्रभुता की पीनक में नेहरू पुत्री थी बदहोश
किया सभी ने उस शासन को अन्तिम बार सलाम
(१९७७ में रचित,'खिचड़ी विप्लव देखा हमने' नामक कविता-संग्रह से)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,158
edits