भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
छतों के नालों से पड़ता हुआ पानी छोटी नालियों में कूदता हुआ बड़े नालों में मिलकर बहता है और तालाबों की आशा पूरी करता है।
टप-टप चूवै आसरा टप-टप विरही नैण।
झप-झप पळका बीज रा झप-झप हिवड़ो सैण।। 65।।