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15:39, 29 नवम्बर 2010 <poem>तुमने हँस के जो देखा जरा सा मुझे, हर तरफ चांदनी की फसल हो गई ।
एक पल के लिए भी जो रूठ गए अपनी साँस भी मुझको गरल हो गई ।
तुम हमसे मिले, मिल कर बिछुड़े, हमें कविता की भाषा सरल हो गई ।
सुख के- दुःख के यूं शेर मिले, जिन्दगी एक मुकम्मल ग़ज़ल हो गई ।</poem>