विषय-रस नीरस सदा है, विष भरा, संतापमय।
विषय-रतिसे नित्य बढ़ता है, इसी से शोक-भय॥
कृष्ण-पद-रति है सुधामयि दिव्य अति माधुर्यमय।
तनिक-से आस्वादसे सब दूर होते शोक-भय॥
विषय-रस नीरस सदा है, विष भरा, संतापमय।
विषय-रतिसे नित्य बढ़ता है, इसी से शोक-भय॥
कृष्ण-पद-रति है सुधामयि दिव्य अति माधुर्यमय।
तनिक-से आस्वादसे सब दूर होते शोक-भय॥