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वे सुन नहीं सकते / शहंशाह आलम
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वे सुन नहीं सकते
हालाँकि वे सुनना चाहते हैं
पेड़ों और हवाओं के गीत
दरियाओं का संगीत
आबी परिंदों की आवाजें
शहंशाह आलम की कविता
कोशिश करें तो
वे सुन सकते हैं
सुनने की सारी चीजें
इसलिए कि वे बहरे नहीं हैं
हमीं ने उन्हें
बहरा किया हुआ है अन्तकाल से।